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मेरे विद्यालय का पुस्तकालय एक छोटा सा कक्ष है जिसमे सारी पुस्तके दो आलमारियों में बंद करके रखी गयी थी।मैं एक पुस्तकालयाध्यक्ष हूँ। अगर पुस्तकालय ही छोटा हो तो अधिक नामांकन वाले विद्यालय में उसका संचालन कैसे किया जाये मुझे ये किसी डिग्री कोर्स में नहीं सिखाया गया था। CLC कोर्स ज्वाइन करने के बाद ये सीखा कि हमारे पास जो भी संसाधन है, उसी का उपयोग करके पुस्तकालय को जीवंत कैसे बनाना है? कोर्स में मैंने साहित्य के विधाओं के बारे में जाना समझा था, सो सबसे पहले मैंने आलमारी में रखी पुस्तको को विधाओं के अनुसार अलग अलग किया।अब उन किताबों को रस्सी की सहायता से उस कक्ष के चारों ओर टांग दिया,ऐसा करने से पुस्तकालय आकर्षक लगने लगा व अलमारी में रखी पुस्तके अब बच्चों की पहुँच में आ गईं थीं। पुस्तकालय का ये नया रूप मेरे साथी अध्यापकों व प्रधानाचार्य को भी अच्छा लगा।
कोर्स के दौरान बच्चों को किताबों से जोड़ने के लिए कई तरह की गतिविधियाँ भी सीखीं थी। कक्षा 2 और 3 के बच्चों को किताब से जोड़ने के लिए मैंने उन्हें बिग बुक से कहानी सुनाई जो उन्हें अच्छी लगी। अगले दिन मैंने देखा वो खुद लाइब्रेरी में आएं और कहानी सुनाने को कहा । कक्षा 4 के बच्चों के साथ रीड अलाउड गतिविधि की, कहानी ख़त्म होने पर बच्चों के साथ अच्छी चर्चा हुई । मेरे द्वारा 2-3 बार ये गतिविधि करने पर अब वो चर्चा के बाद कहानी के पात्रों को चार्ट पर भी बनाने लगे और उस पर नाटक भी करने लगे, मैंने देखा कि जो बच्चे खुल कर बोलते नहीं थे अब वे भी इन सब गतिविधियों में हिस्सा लेने लगे हैं । एक दिन ‘गीत का कमाल ‘ कहानी सुनाने के बाद पोस्ट एक्टिविटी में मैंने बच्चों से ग्रुप में चोर का चित्र चार्ट पर बनवाया, जो कि बहुत मजेदार था, किसी ने चोर भूत जैसा बनाया था तो किसी ने सूट बूट वाला चोर बनाया था। बच्चों का इतना जुड़ाव पुस्तकालय के साथ इन गतिविधियों की वजह हो पा रहा था। हमारे बाल-सभा के लिए अब बहुत सारे नए आईडिया आ गए हैं लाइब्रेरी से सम्बंधित। अब मेरे पास हर शनिवार को प्राइमरी स्कूल के बच्चों की भीड़ लगती है किताब लेने के लिए।
कोर्स के दौरान मैंने लाइब्रेरी के आयामों के बारे में जाना और समझा था कि कैसे कम संसाधन में भी एक अच्छे लाइब्रेरी का निर्माण हो सकता है । कक्षा 6 में विद्यार्थी संख्या अधिक होने के कारण उन्हें लाइब्रेरी में नहीं ला सकती थी। अतः मैंने उनके लिए क्लासरूम लाइब्रेरी बनाना तय किया,जो काफी सफल रहा। शुरू में केवल अंतिम 2 पीरियड के लिए ही किताबें दी ,करीब 100 किताबों को कक्षा की दोनों खिड़कियों पर रस्सी के सहारे टांग दिया,अब वो सब अपनी पसंद की किताबें बार बार बदल बदल के पढ़ते हैं। साथ ही लेन देंन कार्ड में भी एंट्री कर रहे हैं।
अपने स्कूल में एक जिवंत लाइब्रेरी बनाने का प्रयास कर रहीं हूँ । कोर्स ने एक पुस्तकालय को देखने का एक नया नजरिया दिया हैं।
कुछ किताबें ऐसी होती है, जिसको देखने के बाद आप बिना पढ़े नहीं रह सकतें। ऐसी ही एक रमणीय कहानी है “लापता सुंदरी”. जिसको लिखा और चित्रों से सजाया है…
This wordless picture book by Eklavya takes us through various complexities of the environment. I loved the concept of this book…